Sunday, August 21, 2011


ये मेरी यादों का है मेला,

बचपन में यारों का खेल था,

बड़ा हुआ तो लगा बड़ा झमेल सा..

सपना एक पाई का था कभी,

अब एक पाई भी सपना सा...

मेरी गाड़ी मेरा बंगला और कोई मेरा अपना सा ...

सपना सपना हरदम घूमें ,

मन क घोड़े रोज नया आसमान चूमे,

कभी कभी निराश सा होकर...

मन मेरा भटके मेरे घर पहुंचे..

पर मन मेरा मुझसे कभी न हारा,

अभी तो बस थोड़ी ज़मीन नापी हैं,

बुला रहे हैं वो सारे तारे..

भटके भटके ना मैं भट्कुंगा,

सोच सोच के जो जो सोचा,

एक दिन सब पूरा करूँगा...

हारे न हारूँगा मैं..

रोक रोक के  हार जायेगा समय,

पर मेरे समय को कोई ना रोकेगा :)

Saturday, March 26, 2011

A Change





यह  भीड़  है  या  खो  गए  हैं  यहाँ  कई,

बनने  तो  मैं  कुछ  और  चला  था,

पर  बन  गए  हैं  लगता  मुझ  में  कई,

चेहरे  तो  हैं  सब  अलग  यहाँ,

पर  सब  में  दिखता मुझसा  कोई,

आँखों  में  जूनून  होता  तो  हैं,

पर  हाथों  में  जंजीरें  कई,

बदलना  तो  यहाँ  बहुत  कुछ  था,

बदल  गए  हैं  हम  अपने  आप  में  कहीं,

पाँव  तो  खड़े  हैं  हजारों  में,

पर  पहला  कदम  क्यों  उठता  नहीं,

जो  उठ  भी  गया  हैं  कदम  कोई,

पत्थरों  से  छल  दिया  है  हमने  ही  कहीं,

खून  तो  बहाया  था  कभी  किसी  ने,

पर  न  जाना  वो  बहता  रहेगा  आज  भी  यूँ  ही,

जीना  यहाँ  सब  चाहते  हैं  अपनी  जिंदगी,

और  झाँक  कर  हम  दरवाजे  देखते  नहीं,

आंसू  जो  आते  हैं  अपनी  आँख  में,

तो  शिकायतें  हो  जाती  हैं  हमें  कई,

मुद्दों  पर  मुद्दे  बनते  रहते  हैं  यहाँ,

और  रह  जाती  हैं  बस  चर्चा  हर  कहीं,

सियासते  समझती  हैं  पागल  हमें,

भूल  जाती  हैं  वो  हमसे  ही  हैं  कहीं ,

चेहरे  जो  हँसते  हैं  ऊँचे  मुकामों  पर,

घिन्न  तो  हुई  होगी  उन्हें  भी  कभी,

बदलना  तो  यहाँ  बहुत  कुछ  हैं,

पर  बदल  गए  हैं  हम  अपने  आप  में  कहीं....